Thursday, January 21, 2010

मन का मीत

मेरी शादी के बाद एक महीना तो रोज ४ से ५ बार चुदाई करते हुए निकल गया, और कैसे निकला कुछ पता ही नहीं चला। उसके बाद भी सेक्स के प्रति दीवानापन बना ही रहा। अक्सर औरतों की आदत होती है कि वो पति को ताने मारती रहती हैं कि आपको तो बस सेक्स के अलावा कुछ सूझता ही नहीं है।

तो मैंने उससे पूछा कि शायद तुम्हारे मायके में तुमको खिलाने के लिए कम पड़ने लगा होगा इसलिए तुम्हारी शादी करनी पड़ी !

तो पत्नी बोली- हो ओ ओ ओ ओ, कोई नहीं, खूब था !

तो मैं बोला- फिर लिखाई पढ़ाई लायक धन नहीं होगा !

तो वो बोली- और कितना पढ़ना था, खूब तो पढ़ लिया !

मैंने फिर पूछा- तो ओढ़ने पहनाने में असमर्थ होने लगे होंगे ?

तो पत्नी बोली- आप भी ना कैसी बातें कर रहे हो, रुपये पैसों की कमी तो कोई नहीं थी !

तो मैं बोला- मेरी प्यारी प्राणेश्वरी ! अरे तो जिस चीज की कमी थी वो था लंड, और सेक्स ! समझी ना ! और इसी के लिए अपनी शादी की गई है और जिसके लिए शादी की गई है, उसका अनादर क्यों करें !

यह तो मन की खेती है, जब भी मन करे खूब चुदाई करो। इससे भी कभी मन भरना चाहिए क्या !

अरे यार लोगों में कई तरह की गलत धारणाएँ होती हैं, कई तो उन धारणाओं के चलते सेक्स का मजा नहीं ले पाते हैं, और कई लोग असमर्थ होते हैं, जल्दी ही स्खलित हो जाते हैं या किसी कारणवश उनका मन ही नहीं करता, वो बेचारे वैसे मजा नहीं ले पाते हैं, इसलिए जब तक इस मशीनरी को चालू रखेंगे ये सही तरीके से काम करेगी, वरना खराब हो जायेगी।

और मेरी दीवानगी पर तो तुझको फख्र होना चाहिए, कि इस कारण ही सही मैं तुम्हारे आगे पीछे तो घूमूँगा ना !

और मजे की बात कि मेरी पत्नी को यह बात ठीक से समझ आ गई, उसके बाद उसने कभी मुझे इस बात का उलाहना नहीं दिया।

लगभग बीस साल शादी को हो चुके हैं, अब कुछ समय से मेरी पत्नी में कुछ बदलाव आए हैं, वो सेक्स के लिए मना तो नहीं करती है, लेकिन वो सेक्स में सक्रिय भाग भी नहीं लेती है, मुझे सेक्स करना हो तो फोरप्ले मुझे अकेले को करना होता है, वो नहीं करती, सेक्स के लिए खुद पहल नहीं करती, हाँ सेक्स में ओर्गास्म लेने के लिए जरूर सक्रिय होती है ! बस, हो गयी चुदाई उसकी तरफ से ! चुम्बन लेने को मना करती है, बोलती है मेरा दम घुटता है।

मैंने उसको समझाया कि तुम किस के समय मुँह से सांस क्यों लेती हो, नाक से लो,

तो भी वो मना करने लगी है, बोलती है किस मत करो।

अब बताइये जो चीज मुझको सबसे अच्छी लगती है, जिस क्रिया में मैं १०-२० मिनट आराम से निकाल सकता हूँ, वो ही नहीं करने को मिले ......

खैर...

मैंने कई जगह पढ़ा है कि लोग अपने लण्ड को तीन इंच चौड़ा और ९ इंच लम्बा बताते हैं।

एक आम इंसान के लिए यह सोच कर अपना दिमाग खराब करने की कोई बात नहीं है...

मैं एक बहुत साधारण सा उदाहरण दे रहा हूँ

आप एक बिसलरी की पानी की बोतल ले लीजिये, यह बोतल तीन इंच चौड़ी होती है और इसके ऊपर का मुंह जहां से बोतल घूमना शुरू हो जाती है वहां तक नौ इंच लम्बाई होती है, मैंने ९ इंच लम्बाई का तो सुना है और बन्दे को देखा है लेकिन तीन इंच चौड़ा.... मैंने कभी भी नहीं देखा....

मेरी सेक्स पॉवर में कोई कमी नहीं आई, अब मुझे रोज ही अधिकतर मुठ मार मार कर काम निकालना पड़ता है। जहां सेक्स रोज करते थे अब २० दिन से एक महीना तक निकल जाता है, मन भटकने लगा, कि कोई साथी मिल जाए जो मेरी समस्या को समझे और मेरा साथ दे।

मेरी कंप्यूटर रिपेयरिंग शॉप के बाजू में मोबाइल कम्युनिकेशन की दुकान खुली, कुछ दिन तो बन्दा लगातार बैठा फिर उसने एक लड़की को वहाँ अपोइंट किया और खुद ने किसी और मल्टीप्लेक्स में एक और दूकान खोल ली और वहाँ बैठने लग गया। एकदम स्लिम लड़की जवानी की गोद में सर रखा ही था और जवानी में लड़की को जैसे खूबसूरती और अरमानों के पंख लग जाते हैं, वो थोड़ा बोलने में बोल्ड हो जाती है, वो भी शुरू में तो कम बोलती थी, फिर बोल्ड हो गई, किसी बात को लेकर परेशानी होती तो मुझे बोलती।

हम लोग आपस में खुलने लगे, एक दिन बहुत ही अजीब सा वाकया हुआ..........

उसको सू सू जाना था वो मुझसे बोल गई कि मैं अभी आई ! ज़रा इधर दुकान में ध्यान रखना !

वो गई और वापस आई और बहुत परेशान सी लगी, कुछ देर बीत गई.....

फिर हिचकती सी बाहर आकर मुझे बोली- सर, प्लीज ! एक मिनट इधर आयेंगे......?

मैंने लड़कों को बोला- तुम लोग काम करो, मैं आया !

और उसके पीछे उसकी दुकान में गया, वो अन्दर केबिन में चली गई थी, मैं केबिन के दरवाजे पर जाकर बोला- हाँ क्या हुआ...?

तो उसका मुँह लाल हो गया, बोली- मुझे शर्म भी आ रही है और इमरजेंसी इतनी है कि मैं बिना कहे रह भी नहीं सकती।

मैंने कहा- तो कह दे ना, फिर शर्म की क्या बात है।

तो वो हिचकते हुए रुक रुक कर बोली- सर मैं सु सु गई थी..... मेरी सलवार................. , क्या बोलूं,

मैंने कहा- अरे बोल ना.......

तो बोली- नाड़े में गाँठ लग गई है........

मैंने कहा- ओह्ह्ह, है तो समस्या ही ! लेकिन जो करना है वो तो करना ही पड़ेगा.....

मैं केबिन के अन्दर हो गया, उसको एक साइड में किया और कुरते को ऊपर कर के नाड़े में पड़ी गाँठ को सही किया, और उसको सु सु करने भेज दिया.....

मेरी क्या हालत हुई होगी आप भी इस हालत में होते तो ....., सहज ही अंदाजा लगा लो.....

मैंने छोटे को चड्डी में हाथ डाल कर ऊपर की ओर किया और अपनी धड़कन पर काबू करने का यत्न करने लगा।

सपना का क्या हाल हुआ होगा, जिस तरह से बेचारी के हाव भाव लग रहे थे, धड़कन तो उसकी भी बढ़ ही गई होगी..., उसका मुँह एकदम लाल हो गया था। इसका मतलब पहली बार किसी मर्द का हाथ इस तरह से उसको लगा था......

मैंने सोचा कि मैंने तो क्या गलत किया, उसने कहा तो मदद कर दी ! इमरजेंसी थी ही इतनी ! खैर अब होगा जो देखा जायेगा....

अब मेरे मन में एक अरमान जागा कि सपना यदि तैयार हो जाए तो....

जो घुटन मेरे मन में मुझे महसूस होती है वो ख़त्म हो जायेगी।

खैर...., मैंने अपना सर झटका, सोचा थ्योरी में और हकीकत में बहुत फर्क होता है.....

वो जैसे ही अपनी दुकान में आई मैं अपनी दुकान में चला आया, लेकिन आते आते उसके मुँह से थैंक यू सर.... निकला, मैंने उसकी और देखा और मुस्कुरा कर चला आया.....

अब हम थोड़ा और खुल गए, कभी कभी जब वो बिल्कुल अकेली होती तो मुझसे कह देती- सर लंच कर लो !

तो हम साथ साथ लंच कर लेते थे....., कुछ हंसी मजाक, जोक्स भी चलता रहने लगा.....

लेकिन दिल्ली अभी कितनी दूर थी कुछ पता नहीं.....

वो खाली टाइम में कंप्यूटर पर गेम्स खेलती थी, ज्यादातर ताश वाले गेम्स !

एक बार लंच में बुलाया तो वही गेम लगा पड़ा था तो मैंने कहा- बोर नहीं होती इन गेम्स से? रोज रोज यही गेम, बच्चों वाले .....

तो उसके मुंह से अचानक ही निकल गया- तो सर आप ही बता दो कुछ !

मैंने मौका देख कर कहा- तू बुरा तो नहीं माने तो बता दूंगा !

तो सपना बोली- आप भी क्या बात करते हो, बुरा काहे का मानना?

तो लंच के बाद मैं उसके कंप्यूटर पर अन्तर्वासना साईट लगा कर बोला- यह देख, एक एक टोपिक पर क्लिक कर, यदि पसंद ना आये तो बुरा मत मानना ! बंद कर देना मैं और कुछ गेम्स में कंप्यूटर पर डाल दूंगा.....

उसके बाद ३-४ दिन तक उसने न तो मुझसे बात ही की और ना ही मुझे लंच के लिए आवाज ही दी। मैं यदि बाहर निकलता भी तो वो मेरी तरफ नहीं देख कर नजर नीचे कर लेती..

मैंने समझा कि गलत ही हो गया लगता है... शायद यह लड़की इस तरह की चीजों में रुचि नहीं लेती होगी....., मेरे मन में पछतावा होने लगा, कि क्यों मैंने उसको बिना उसका मन जाने इस तरह की साईट उसको दिखाई.... बेचारी अच्छी दोस्त थी..

खैर.. अब जो होना था वो तो हो चुका...

हमारे मॉल में दुकानें लगभग ११ तक पूरी तरह से खुलती थी, लेकिन मैं हमेशा ९:३० पर दुकान खोल लेता हूँ।

इस घटना को लगभग ५ दिन निकल गये होंगे कि एक दिन वो भी ९:३० पर आई और सफाई पूजा के बाद उसने मेरी दुकान के बाहर से मुझे आवाज लगाई- सर एक मिनट प्लीज !

मैंने सोचा- जाने आज क्या होगा, यह क्या कहना चाहती है? मैंने सोचा कि अभी यहाँ कोई आस पास है भी नहीं... जो गलत हो गया उसको सुधरने का मौका भी है, यह सोच कर धड़कते दिल से उसकी दुकान में चला गया। वो मिठाई का डिब्बा हाथ में लेकर खड़ी थी, बोली- मिठाई खाओ सर.....!

मैंने मिठाई का पीस हाथ में लेकर पूछा- किस खुशी की मिठाई है.....?

तो बोली- मैं आज बी ए की परीक्षा में पास हो गई।

मेरे मुंह से निकला अरे वाह.....! बधाई हो !

और आधा टुकड़ा उसके मुँह में डाल दिया और बाकी का अपने मुँह में और उस पीस को ख़त्म करके एक और पीस उठाया। फिर मिठाई ख़त्म करके मैंने उसको बोला- सपना मैं तुझसे कुछ कहना चाहता हूँ।

मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई और मुँह से शायद लालिमा भी फूटने लगी हो....

सपना का मुँह भी सकपकाहट से लबरेज हो गया, उसको भी भान होगा कि मैं क्या कहना चाहता हूँ...

मैंने हिम्मत करके कहा- सपना उस दिन जो मैंने तुझको साईट खोल कर दी, यदि तुझे बुरा लगा हो तो मैं सच्चे मन से माफ़ी मांगता हूँ, सच में तेरी मंशा जाने बिना मैंने तुझको वो सब पढ़ने को दिया जो वर्जित माना जाता है, और यह जानते हुए भी कि यदि तुझको सेक्स चढ़ा तो तेरे पास उसको सँभालने का कोई साधन नहीं है। तू किसको कहेगी कि तुझको क्या हुआ है.......

सपना का मुँह नीचा हो गया, चेहरा लाल हो गया, और बोली जैसे जम गई हो।

मैंने उसकी ठुड्डी के नीचे अपनी ऊँगली रख कर उसका चेहरा उठाया और मेरी तरफ देखने को बोला।

उसकी नजरें धीरे धीरे मेरी ओर उठी तो मैं बोला- सपना तू मेरी अच्छी दोस्त है, अब तू क्या मानती है यह तो तू जाने, लेकिन मैं तेरी दोस्ती कम से कम तेरी शादी तक तो नहीं खोना चाहता।

तो उसकी आँखों से दो बूँद आंसू टपक आये.....

मेरा दिल भारी हो गया।

उसने धीरे धीरे रुक रुक कर कहा- सर मैं भी आपको अपना अच्छा दोस्त मानती हूँ, मैं नाराज नहीं हूँ........, नहीं तो आज इस समय क्यों आती..., मुझे आपसे बात करना अच्छा लगता है.....

मेरे मन को कितना चैन आया, जैसे सर पर से पहाड़ एकदम से हटा दिया गया हो......

मैंने कहा- ठीक है तू थोड़ी देर मेरे पास मेरी दुकान पर बैठ..., आ जा !

उसने शटर उठे रहने दिए और अलुमिनियम का दरवाजा लगा कर मेरे पास मेरी दुकान में आ गई और मैं रिपेयरिंग के साथ साथ उससे बात भी करने लगा। धीरे धीरे हम दोनों ही सामान्य होने लगे।

लगभग ४५ मिनट बातचीत हुई जिसमें हमने एक दूसरे के घर में कौन कौन है, घर कैसा है, एक दूसरे की रुचियाँ क्या हैं यह सब जाना, फिर वो करीब १०:३० - १०:४५ पर अपनी दुकान में चली गई। अच्छा भी नहीं लगता था कि कोई उसको और मेरे को इस तरह से आपस में घुट कर बातें करता देखे, लड़की जात जल्दी बदनाम हो जाती है......

फिर वो अक्सर जल्दी ही आने लगी, हम दोनों में बहुत सी बातें होने लगी, धीरे धीरे वो मुझसे मजाक भी बहुत करने लगी, उसके चेहरे को देख कर लगता था कि उसको मेरा साथ अच्छा लगता है, वो ज्यादा से ज्यादा टाइम मेरे साथ निकालना चाहती है।

लेकिन मैंने उसको चेता दिया था कि देख सपना अपनी दोस्ती की बात अपने दोनों तक ही सीमित होनी चाहिए ! पगली, नहीं तो लड़की जात को बदनाम होते देर नहीं लगती।

यह बात उसको भी अच्छे से समझ में आ गई और जो भी हंसी मजाक हमें करना होता था वो सब हम और दुकानों के खुलने से पहले कर लेते थे। वो अकेले में मुझे निक नेम सोनू पुकारने लगी, मुझे बहुत अच्छा लगता था।

एक दिन जब मैं ९:३० पर दुकान पंहुचा तो सपना दुकान खोल चुकी थी और मुझसे बोली- सोनू प्लीज आज तुम थोड़ी देर मेरे साथ मेरे पास बैठो ना !

मैंने कहा- ठीक है आधा घंटा के करीब तुम्हारे साथ बिता लूँगा।

तो वो बोली- हाँ हाँ ठीक है।

मैं उसके पास बैठ गया। मैंने थोड़ा सा मूड हल्का करते हुए सपना से कहा- आज क्या बात है गुन्नू, तुम आज बहुत रोमांटिक मूड में लग रही हो, बिजली गिराने का इरादा तो नहीं है ना ?

उसका मुँह लाल हो गया, और मेरे हाथ को अपने हाथो में ले लिया और बाजु के साइड में अपना सर हौले से टिका दिया...., मैं चौंका और सपना की ओर देखने लगा, वो नीचे देखने लगी. मैंने अपनी बांह उस से छुडाई ओर उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया ओर दूसरे हाथ से उसकी ठुड्डी उठाई, उसका चेहरा शर्म से लबरेज था... होंट पर एक गीलापन आ गया था, जो किसी लड़की के गरम होने पर आ जाता है, ओर आँखों में एक कुंवारी लड़की की शर्म भरी लालिमा आ गई थी। मुझे डर था कि कोई आ न जाए।

लेकिन वैसे अभी बाजार खुलने में थोड़ा समय था, मैंने सपना से कहा- गुन्नू मेरी रानू, हम आपस में अच्छे दोस्त हैं ना...?

तो उसने हाँ में सर हिला दिया।

मैंने फिर कहा- गुन्नू ! अपनी नजरें मुझसे मिलाओ और बताओ कि क्या बात है...?

तो उसने नीचे देखते हुए ना में सर हिला दिया और उसकी पलकें बंद हो गई, मैं बुरी स्थिति में फंस गया था, उसको वास्तव में सेक्स की गर्मी चढ़ गई थी।

अब यदि मैं उससे इस स्थिति का फायदा उठता हूँ तो मेरे दिल को गवारा ना था औजर यदि छोड़ता हूँ तो उसका क्या हाल होगा, मैं समझ सकता था। मैंने भगवान् को याद किया और टेबल पर से बाहर के गेट की चाभी उठाई और अन्दर से एल्यूमिनियम का दरवाजा लॉक कर दिया अन्दर सपना के पास आया और उसको अन्दर केबिन में ले गया और हम दोनों दो स्टूल पर सट कर बैठ गए। मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसकी ठुड्डी उठा कर बोला- गुन्नू मेरी ओर देख ...

बहुत मुश्किल से उसकी आँखें मेरी आँखों से मिली, मैंने कहा - सेक्स के बारे में जानना है?????......

तो उसने हाँ में सर हिला दिया.

मैंने उसको सेक्स के बारे में बताना शुरू किया कि कैसे होता है, बच्चे कैसे होते हैं ओर करते में क्या क्या महसूस होता है।

उसने कहा- सोनू, रात को मैंने.... अपने मम्मी पापा को..... देखा है ! तुम भी करो...... मेरे साथ....... सब कुछ ..... वो ... ही....

ओह तो यह बात है ! मैंने सोचा....

उसने मेरा दूसरा हाथ अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसका सारा शरीर कांपने लगा, उसके पूरे शरीर में थिरकन हो रही थी। ओ माय गोड....... मैंने सोचा और मुझे बस एक ही उपचार नजर आया, मैं उसके एकदम सामने हुआ और मैंने उसको अपने से चिपटा लिया ओर उसके होंटो पर अपने होंट रख दिए... हम दोनों स्मूच (होंट ओर जीभ को चूसते हुए किस) की स्थिति में हो गए।

मैंने अपनी पेंट की हुक और जिप खोल दिए, उसकि सलवार के नाड़े को खोल दिया ओर उसका हाथ उठा कर अपने लण्ड पर रख दिया और उसकी पेंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत पर सहलाने लगा।

उसकी चूत से पानी टपक रहा था और सलवार का कुछ हिस्सा तक गीला हो गया था। मैंने बैठे बैठे ही उसको थोड़ा ऊपर करके उसकी सलवार और पेंटी को टांगो से अलग किया और एक अन्य स्टूल पर सुखाने की स्थिति में डाल दी जैसे तैसे स्विच बोर्ड पर पंखा चालू कर दिया और उसकी टांगों को थोड़ा सा ऊपर करके उसको अपनी जांघो पर खींच लिया, उसकी चूत को थोड़ा सा खोल कर अपना लंड उसकी चूत की दरार में लम्बाई में रख दिया और उसके हिप्स के नीचे मेरे हाथ रखकर उसको अपने हाथों में थोड़ा सा उठा कर उसकी चूत में मेरे लंड की रगड़ देने लगा।

सपना ने कसमसा कर अपने होंट मेरे होंटो से अलग कर के खोले और बोली- सोनू अन्दर घुसा दो, प्लीज ! मैंने कहा- गुन्नू नहीं ! आज नहीं !

सोनू..... प्लीज.......

मैंने उसको बांहों में कस कर और भी जोर से भींच लिया, होंट से होंट मिला कर जोर से किस करने लगा, और उसको मेरे लंड से रगड़ देने लगा...., अब उसको मजे आने लगे थे... सो वो भी धीरे धीरे हिलने लगी और ३-४ मिनट में ही हम एक दूसरे से जकड़े निढाल हो गए ...........

और तीन चार मिनट इस स्थिति में निकल गए फिर उसको धीरे धीरे होश आने लगा, आँखें खोल कर उसने अपनी स्थिति देखी, मेरी गोद में बैठी है..., केबिन में है...., नीचे कुछ नहीं पहना हुआ है....., और मेरे नीचे के कपडे भी नीचे हुए पड़े हैं और हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंधे हुए हैं..., एकाएक उसकी आँखों में लालिमा आई लेकिन उसने अपने हाथ मेरी पीठ से हटा कर मेरे मुँह को अपने हाथों में पकड़ा और और एक किस कर दिया।

सच में इस किस का कोई मुकाबला न था यह अब तक के मजे में सबसे ऊपर था.. आखिर यह किस उसने अपने पूरे होशोहवास में किया था।अब हम जल्दी से अलग हुए, मैंने अपने कपड़े दुरुस्त किये और उसकी सलवार को पंखे के एकदम सामने कर के ५ मिनट में जितना सूख सकता था उतना सुखाया और उसको भी उसके कपड़े पहनाए।

हमने फिर एक बार और किस किया फिर जल्दी से बाहर का दरवाजा खोला, गनीमत कि अभी तक चहल पहल न थी....

फिर मैंने और उसने एक दूसरे को देखकर मुस्कान दी. फिर मैं दुकान खोल कर अपने काम में व्यस्त हो गया।

लंच करते में सपना ने अगले दिन ९ बजे आने को बोला। मैंने उसकी आँखों में देखा तो उसने आँख मार दी...

मैंने कहा- शैतान कहीं की.... ठहर तो ..... कल देखूंगा.....

अगले दिन मैं जब नौ बजे पहुंचा तो सपना दुकान में सफाई कर रही थी। जल्दी से फ्री हुई और मुझे अन्दर लेकर दरवाजा बंद किया और मेरे साथ केबिन में घुस गई और मुझे स्टूल पर बिठा कर मेरी गोद में बैठ गई और बोली- हाँ उस्ताद अब फिर से सिखाओ कल तो मैं होश में थी नहीं......

तो मैंने उसको सेक्स के बारे में फिर से बताना शुरू किया..... आज न तो उसमे कल जितनी शर्म थी और ना ही मदहोशी....

वो बड़ी तन्मयता से सुन रही थी, समझ रही थी.......

फिर उसने मेरे हाथ अपने बोबों पर लगा दिए और खुद मेरे होंटो को चूसने लगी फिर मेरी पेंट के हुक खोलने लगी..., मैंने उसको सहयोग किया तो उसने मेरे हाथ फिर से अपने बोबों पर रख दिए और मेरी पेंट को खोल दिया फिर खुद की सलवार को भी ! फिर खुद खड़ी होने की हालत में हो गई तो मुझे भी खड़े होना पडा तो उसने नीचे के कपड़े सरकाकर उतर जाने दिए...

फिर उसने मेरे लंड को अपनी चूत के दरार में सेट किया और मुझसे एकदम से चिपक गई, फिर अपने हाथ मेरी पीठ पर बाँध कर अपने पैर हवा में लेकर मेरे कूल्हों पर कस लिए और हिल कर चूत को मेरे लंड से रगड़ने लगी, तो मैंने अपने हाथ उसके बोबों से हटा कर उसके कूल्हों के नीचे किये और रगड़ में हिलाने में सहायता करने लगा। हमारा चुम्बन और भी प्रगाढ़ हो गया और धीरे धीरे वो अकड़ती गयी फिर मैं भी.........

अब मैं उसको इसी हालत में लिये दिये स्टूल पर बैठ गया और हम अपनी साँसों में काबू पाने लगे.........

ज़रा देर में ही सपना फिर चालू हो गई.... चूमा-चाटी, बोबे दबाना चूसना, चूत को रगड़ना.......!

फिर वो बोली- सोनू अन्दर डालो.... चलो.....

तो मैंने पूछा- तेरी एमसी कब हुई थी?

तो वो बोली- सत्रह दिन हो गए !

तो मैंने कहा- देवी और २-३ दिन रुक जा ! नहीं तो फालतू में बच्चे का रिस्क हो जायेगा !

तो वो बोली- फिर अन्दर डाल कर करोगे .....

मैंने कहा- हाँ बाबा हाँ !

वो बोली- प्रोमिस?

मैंने कहा- हाँ बिलकुल पक्का....

तो बोली- लाओ हाथ और कसम खाओ !

मैंने उसके हाथ में अपना हाथ लेकर कसम खाई.....

फिर हमारा दूसरा राउंड पूरा हुआ और उसके बाद हम हमारे काम में लग गए। दो और दिन इसी तरह से निकल गए....

इस बीच में मैंने वेसलीन की एक छोटी डिब्बी लाकर उसके केबिन में रख दी। उसने पूछा तो मैंने कहा- अन्दर वाले दिन काम आएगी ! फिर उसको बताया कि ज्यादा दर्द न हो इसके लिए जुगाड़ बिठा रहा हूँ.....

तो वो मचल कर बोली- सोनू यार तुम्हारे जैसा आदमी तो बस............. ये ध्यान रखते हो कि नादान से नहीं करना... उसको सेक्स का ज्ञान देते हो, उसे बच्चा न हो जाये ये ध्यान रखते हो.., उसे दर्द न हो ये भी ध्यान रखते हो आखिर क्यों.....

मैंने कहा- मेरी जान हो तुम ! मैंने मात्र सेक्स के लिए नहीं, प्यार के लिए तुमको पाया है गुन्नू.....

तो उसकी आँखों में जोश और विश्वास देखने के काबिल था......

आखिर एमसी के बीसवें दिन सुबह नौ बजे सपना बहुत उत्साह में थी, जैसे वो कोई तीर मारने जा रही हो।

मैंने उसको कहा तो बोली- हाँ ! तीर ही तो मार रही हूँ...., आखिर जिसके तुम जैसे गुरु हो वो कोई कम तीरंदाज होगा भला...

हम दोनों केबिन में बंद हो गए, और आज हमने एक दूसरे को पूरा नंगा किया और मैंने उसके होंट, बोबे और गर्दन चूसी, बोबे दबाये और खूब जोर से चिपटा कर किस करना चालू किया और सपना को कहा- लंड से खेल.....!

वो लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी....! उसकी आँखों में खुमारी उतर आई और चूत में से पानी टपकने लगा.....

मैं इसी इन्तजार में था... मैंने अपनी एक ऊँगली में खूब सारी वेसलीन लगा कर उसकी टांगों को फैला कर ऊँगली उसकी चूत में अन्दर डालता चला गया, उसका मुँह खुल गया और एक आह उसके मुँह से निकली।

मैंने पूछा तो बोली- कुछ नहीं ....! आप तो करो.... !

मैंने कहा- दर्द हो तो मुझे बताना !

तो बोली- सोनू दर्द तो एक बार होना ही है चाहे अभी या बाद में..... ! बाद का तो पता नहीं लेकिन तुम जैसा साथी हो तो इस साले दर्द की ऐसी की तैसी, होने दो एक बार ही तो होगा......

मैं दंग रह गया मुझे सपना पर बहुत प्यार आया, उसको कितना विश्वास था मुझपर...., जाने क्यों...

मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में दिए हुए ओ के आकार में घुमाने लगा .... अन्दर उसका हायमन धीरे धीरे खुलने लगा, फिर २-३ मिनट बाद में अंगूठे पर वेसलीन लगा कर चूत में डाला और उसके चेहरे को देखा तो फिर उसका मुँह किस करते करते रुक गया, और फिर वो किस करने लगी मैंने अंगूठे को आगे पीछे करना शुरू किया तो वो सिसकारी लेने लगी। धीरे धीरे कुछ देर बाद मैं अंगूठे को ओ के आकार में घुमाने लगा...

२-३ मिनट में उसका हायमन काफी खुल गया तो मैंने कहा- गुन्नू, अब तैयार ........?

तो वो चहक कर बोली- अरे वाह सोनू ! मैं तो कब से राह देख रही हूँ ..... चलो..... डालो....

मैं उसकी उत्सुकता देख कर दंग रह गया.....

फिर मैंने उसको अपनी गोद में बिठाया और खूब सारी वेसलिन उसकी चूत पर मली ओर मेरे लंड पर भी, फिर हाथ बीच में रखकर अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सेट किया ... फिर सपना को बोला- गुन्नू अपनी टांगो को बिलकुल ढीला छोड़... उसके कूल्हों पर मेरे हाथो का दबाव बनाते हुए धीरे धीरे अपनी ओर भींचने लगा..... , लंड का सुपाडा अन्दर हो गया। मैंने कहा- गुन्नू संभालो.... दर्द होगा थोड़ा...

तो उसने अपनी टांगों को मेरे शरीर की तरफ एक झटका दिया और लंड सरसराता हुआ उसकी चूत में आधा चला गया, उसके होंट भिंच गए और वो और और आने दो … की मुद्रा में गर्दन हिलाने लगी...

मैं धीरे धीरे हिलते हुए धक्के लगाते लंड अन्दर डालता गया ... और फिर एक बार हम दोनों के होंट आपस में किस करने लगे। हाथ एक दूसरे के बदन पर फिरने लगे.... लंड के अन्दर जाने का स्वाद धीरे धीरे सपना को आने लगा और उसके मुँह से सिसकारी और आह निकलने लगी। फिर जो घमासान होना था वो हुआ और अब तक की चुदाई का सबसे शानदार ओर्गास्म आया हम दोनों को...

उसके बाद हम दोनों लगभग ३ साल तक एक दूसरे के हुए रहे..., उसकी खाने पीने, पिक्चर देखने, घूमने की हर ख्वाहिश मैंने पूरी की। फिर उसकी शादी हो गई....., जिस दिन उसकी शादी पक्की हुई वो मेरे कंधे पर सर रखकर.........

उसकी जुबानी कुछ बातें -

सोनू ना जाने क्यों मैं तुम पर मर मिटी, तुम्हारा बोलने चलने का ढंग, तुम्हारा सलीका देखकर तुमको मन ही मन चाहने लगी, फिर जब तुम्हारे यहाँ तुमको देखने तुम्हारे पास चली आती थी, जाने दिल अपने काबू में रखना मुश्किल हो जाता था।

फिर जैसे जैसे समय निकलने लगा मेरी दीवानगी तुम पर बढ़ने लगी. मैं चाहती थी कि तुम्हारे पास बैठ कर तुमको देखती रहूं और तुमसे बातें करती रहूँ, तुम्हारी सारी बातें मुझे अच्छी लगने लगी........

मुझे समझ आने लगा कि शायद यही प्यार है. फिर तो तुम पर विश्वास बढ़ने लगा, मैं खुद नहीं समझ पाती थी कि मुझे क्या हो रहा है......

फिर जब तुमने मेरी हालत का नाजायज फायदा नहीं उठाया तो मेरा विश्वास तुम पर और भी दृढ़ हो गया.... और सच में तुम्हारा प्यार पाकर मैं निहाल हो गई......

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